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Railway Protection Force : रेल सुरक्षा बल का उत्कृष्ट प्रदर्शन, वर्ष 2022 में अब तक 487 बच्चों को बचाया

मुंबई: बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बड़े कदम के रूप में पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल (Railway Protection Force) ने जनवरी, 2022 से जुलाई, 2022 तक पिछले सात महीनों में 487 बच्चों को बचाया और उन्हें उनके परिवार से मिलाया।

पश्चिम रेलवे (WR) के महाप्रबंधक प्रकाश बुटानी ने आरपीएफ की सराहना की और कहा कि आरपीएफ इन बच्चों की समस्याओं को समझकर और उनकी काउंसलिंग करते हुए उन्हें उनके परिवारों से मिलाने में मदद कर रही है और इस प्रकार पूरे दिल से अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा रही है। बुटानी ने आरपीएफ (Railway Protection Force) और फ्रंटलाइन कर्मचारियों की सराहना की, जो परामर्शदाताओं के रूप में अपनी सहज समझ और त्वरित कार्रवाई के साथ ऐसे महत्वपूर्ण मामलों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर (Sumit Thakur) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, रेलवे के भाग के रूप में आरपीएफ (Railway Protection Force) रेलवे में यात्रा करने वाले यात्रियों की सहायता करने में एक आवश्यक भूमिका निभा रहा है तथा यात्रियों को विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की देखभाल और सुरक्षा की जरूरत पड़ने पर मदद और बचाव भी प्रदान करता है।

ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के अंतर्गत अपने घरों से भागे हुए 487 बच्चों को, जिसमें 313 लड़के और 174 लड़कियां थी, चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन, आदि जैसे गैर सरकारी संगठनों की मदद से उनके परिवारों के साथ फिर से मिलाया गया। इनमें से अधिकांश छोटे बच्चों ने पारिवारिक मुद्दों के कारण या बेहतर जीवन और ग्लैमर की तलाश में अपने परिवार के सदस्यों को बिना बताये घर छोड़ दिया था।

railway protection force

ये बच्चे प्रशिक्षित आरपीएफ (Railway Protection Force) कर्मियों द्वारा प्लेटफॉर्म पर या स्टेशन परिसर में या कभी-कभी ट्रेनों में घूमते पाए गए। जब बच्चों को उनके परिवार से मिलाया गया तो उनके माता-पिता और अभिभावकों ने इस नेक काम के लिए रेलवे के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया।

पिछले सात महीनों में मुंबई मंडल से 181, वडोदरा मंडल से 63, अहमदाबाद मंडल से 80, रतलाम मंडल से 102, राजकोट मंडल से 52 और भावनगर मंडल से 09 बच्चों को बचाया गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में पश्चिम रेलवे के आरपीएफ ने जीआरपी और अन्य फ्रंटलाइन रेलवे कर्मचारियों के समन्वय से लगभग 600 बच्चों को बचाया था।

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