Vasai Virar : कमिश्नर बदले पर कार्यशैली नहीं बदली, वसई-विरार में अतिक्रमण रोकने में असफल वीवीसीएमसी
वसई-विरार में बड़े पैमाने पर सरकारी और आदिवासियों के लिए आरक्षित जमीनों पर अतिक्रमण जारी है। भोयदापाडा, टिवरी, नायगांव, कामन, चिंचोटी, बाफाने, विरार फाटा, बावखल पाडा, वालीव, तुंगारेश्वर, राजीवली, मधुबन व अन्य स्थानों पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। मनपा के प्रभाग एफ और जी में बीते कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
कोरोनाकाल में विकास कार्य रुके, अवैध निर्माण नहीं!
मुंबई। पालघर जिले की वसई-विरार शहर मनपा (वीवीसीएमसी) क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कोर्ट के दखल के बावजूद मनपा क्षेत्र में प्राकृतिक नालों व कुओं को पाटकर और हरे-भरे पेड़ों को काटकर आज भी अतिक्रमण किया जा रहा है।
हैरत की बात यह है कि जिस समय कोरोना लॉकडाउन के चलते लोग घरों में बंद थे, उस वक्त वीवीसीएमसी क्षेत्र में सर्वाधिक अवैध निर्माण किए गए हैं। वसई में सरकारी जमीन बचाने में वीवीसीएमसी का अतिक्रमण विभाग फेल साबित हुआ है। नागरिकों का आरोप है कि कोरोनाकाल में जनता के विकास कार्य रुक गए, पर अवैध निर्माण नहीं रुके।
इधर, वसई-विरार क्षेत्र में स्थित 883 आरक्षित भूखंडों पर अतिक्रमण को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल की गई एक जनहित याचिका ने मनपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मामले में हाईकोर्ट ने वसई-विरार शहर मनपा, सिडको व एमएमआरडीए को 21 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इसपर 28 फरवरी को अगली सुनवाई होनी है।
जानकारी के अनुसार वसई-विरार में बड़े पैमाने पर सरकारी और आदिवासियों के लिए आरक्षित जमीनों पर अतिक्रमण जारी है। भोयदापाडा, टिवरी, नायगांव, कामन, चिंचोटी, बाफाने, विरार फाटा, बावखल पाडा, वालीव, तुंगारेश्वर, राजीवली, मधुबन व अन्य स्थानों पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। मनपा के प्रभाग एफ और जी में बीते कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
मैंग्रोव की कटाई, प्राकृतिक नालों और कुओं की भरनी के चलते वसई की प्राकृतिक सुंदरता लगभग नष्ट हो चुकी है। वसई के कामन-चिंचोटी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि बिल्डरों ने प्राकृतिक नालों की भरनी कर दी है। हरे-भरे पेड़ों की कटाई करके बड़े-बड़े कमर्शियल गाले बना दिए हैं। बार-बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
वसई-विरार क्षेत्र में स्थित 883 आरक्षित भूखंडों पर अतिक्रमण और आरक्षित निधि के दुरुपयोग के प्रकरण में कार्यवाही को लेकर बीजेपी नेता श्याम पाटकर और मनोज पाटिल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक ने वसई-विरार शहर मनपा, सिडको और एमएमआरडीए को 21 फरवरी 2022 तक हलफनाम दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होनी है। इस पर स्थानीय लोगों का कहना है कि मनपा से नागरिकों का भरोसा उठता जा रहा है। यही वजह है कि न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।
मामले में भाजपा नेता मनोज बारोट ने कहा कि वीवीसीएमसी क्षेत्र में अवैध निर्माण अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत से ही हो रहा है। यही वजह है कि कई शिकायतों के बाद भी न तो अवैध निर्माण पर कार्रवाई होती है और न ही इन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों को हटाया जाता है। लॉकडाउन और कोरोनाकाल पर नजर डालें तो वसई-विरार मनपा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुए हैं, जिसे रोकने में मनपा का अतिक्रमण विभाग फेल साबित हुआ है। बारोट ने कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण अधिकारी मनमाने तरीके से कार्य कर रहे हैं।
मामले में मनसे नेता जयंत पाटिल का कहना है कि मनपा अधिकारियों ने काम करना बंद कर दिया है। वसई-विरार में लॉकडाउन और कोरोनाकाल में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुए हैं। मनपा के प्रभाग एफ और जी में सबसे अधिक अतिक्रमण किया गया है। प्रभाग जी में तो सरकारी, आदिवासी और डंपिंग ग्राउंड की जमीन को भी नहीं छोड़ा गया है। यह सब अतिक्रमण अधिकारी की उदासीनता के कारण हो रहा है। भूमाफियाओं के साथ ही उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि मनपा प्रभाग जी के कामन-चिंचोटी क्षेत्र के सागपाडा, कामन, बेलखड़ी, देवदल, पांचू पाडा आदि क्षेत्रों में मौजूदा समय में भी बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से निर्माण किए जा रहे हैं।
वसई-विरार में अवैध निर्माण कार्य पर सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर शुक्ला का कहना है कि वीवीसीएमसी क्षेत्र में अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों और इन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण को हथियार बना लिया है। लॉकडाउन के दिनों में जब लोग घरों में बंद थे, उस दौरान मनपा क्षेत्र की आरक्षित जमीनों पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुए हैं। शुक्ला ने कहा कि कामन-चिंचोटी और अन्य क्षेत्रों में बिल्डरों ने भोलेभाले आदिवासी और ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया है। जो जमीन आदिवासी ग्रामीणों को जीविका चलाने के लिए दी गई थी, उसपर अतिक्रमण कर लिया गया है। इसके लिए मनपा का अतिक्रमण विभाग पूरी तरह से जिम्मेदार है।
मामले में वीवीसीएमसी, प्रभाग जी के प्रभारी सहायक आयुक्त सुभाष जाधव ने कहा कि शिकायत मिलने पर मनपा की तरफ से नोटिस भेजा जाता है। जिसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। अवैध निर्माण करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। हमारे प्रभाग क्षेत्र में जो भी अवैध निर्माण या अतिक्रमण हुए हैं, उन सभी को जमींदोज किया जाएगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कार्रवाई के संबंध में निर्णय मनपा मुख्यालय से लिए जाते हैं। वहां से आदेश मिलने पर हमारी ओर से कार्रवाई की जाती है। इस विषय को लेकर मनपा आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त से संपर्क किया गया, लेकिन दोनों अधिकारियों के फोन नहीं उठे।