वसई-विरारमहाराष्ट्रमुंबई

VVCMC MRTP Scam : भूमाफियाओं के कर्ज़दार हो रहे अधिकारी? MRTP खेला, रिपोर्ट-पार्ट 3

भूमाफियाओं की गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ रहा दिन-दूना, वसई विरार मनपा (VVCMC) के अधिकारियों का देख नमूना!

वसई विरार शहर में अवैध निर्माण निर्बाध रूप से चल रहा है, जिस पर रोक लगा पाना फिलहाल महानगरपालिका के वश में तो नहीं प्रतीत होता या कहें कि अवैध निर्माणों पर लगाम लगाने की मंशा मनपा अधिकारियों में दिखाई नहीं देती। इसके उलट अवैध निर्माणों को संरक्षण करने की क्रियाविधि साफ़ झलकती है, जिसमें से एक MRTP कानून का दुरूपयोग है. इसी दुरूपयोग पर मेट्रो सिटी समाचार कई बिंदुओं पर आकंड़ों की एक फेहरिस्त के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करता आ रहा है।  इसी कड़ी में यह तीसरी रिपोर्ट है.

वसई विरार मनपा ने “प्रभाग G” में 182 लोगों/संस्थानों एवं गृहनिर्माण संस्थाओं के विरूद्व MRTP नोटिस तामील की परन्तु कार्रवाई सिर्फ 09 अनधिकृत मामलो पर कार्रवाई हुई है ठीक इसी तरह हाल “प्रभाग I” का है, इस प्रभाग में “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” के 415 मामले दर्ज़ है लेकिन आजतक शायद ही कोई कार्रवाई हुई है?

वसई विरार महानगरपालिका क्षेत्र में “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” के काले खेल को उजागर करती यह तीसरी रिपोर्ट है. लेकिन कार्रवाई के नाम पर वसई विरार मनपा इस तरह आंखे मूंद रखी है मानो “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” के प्रति उनकी कोई ज़िम्मेदारी है ही नहीं। कभी ऐसा भी जमाना था जब लोग अखबारों में अपना नाम पढ़ने के लिए आतुर होते थे और नाम छप जाने पर उसे गर्व से साझा करते, पेपर की वो कटिंग ऐसे संभाल कर रखते जैसे वो उनके जीवन की कोई अनमोल कमाई हो। और एक आज का दिन है कि नाम तो छप रहे हैं पर जिनके छप रहे हैं वो इसे देखना भी पसंद नहीं करते या फिर कहें कि देख कर भी अनदेखी करते हैं और कभी कभी झेंप भी जाते हैं।

वसई विरार मनपा अधिकारियों को लेकर स्थानीय,राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में अक्सर आलोचनाएं, भ्रष्टाचार, अकर्मण्यता की ही खबरें छपती रहती हैं, “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” पर कार्रवाई शिकायतकर्ता पर निर्भर रहती है और जब तक यह सुनिश्चित न हो जाये कि शिकायतकर्ता प्रभावशाली व्यक्ति है और “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” की शिकायतों पर सभी गुना भाग ठीक तरह बैठ न जाये तब तक कार्रवाई नहीं की जाती है. सामान्य आदमी के शिकायतों का हाल मेट्रो सिटी समाचार की टीम के पिछले दो रिपोर्टों से समझ सकते है की कैसे MRTP निर्गत करने का खेल कर कुम्भकर्ण की नींद में सो जाती है.

MRTP का खेला रिपोर्ट-पार्ट 1: https://metrocitysamachar.com/vvcmc-is-playing-khela-with-mrtp-notice/

बहुत कम ही ऐसे क्षण आए होंगे जब कभी मनपा अधिकारियों के हिस्से सकारात्मक खबरें आई होंगी। आखिर इस परिस्थिति निर्माण को लेकर कौन जिम्मेदार है? वसई विरार शहर में बीते कुछ महीनों में अनियंत्रित तरीके से हो रहे अवैध निर्माण के कारण मनपा के खजाने में आने वाले राजस्व का भारी नुकसान हुआ है लेकिन इसकी चिंता मनपा करे भी तो क्यों? क्योंकि इनके ही छत्र-छाया में तो अनियंत्रित तरीके से “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” हो रहा है? किसी ने सच ही कहा है कि ईमान कोने में है दुबका है,दरारों से झांक रहा है, भ्रष्टाचार मदमस्त हो चौराहे पर नाच रहा है. “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” में मामले में कुछ ऐसा ही हाल है वसई विरार मनपा के “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” एवं “नगर रचना विभाग” के अधिकारियों एवं अभियंताओं का?

MRTP का खेला रिपोर्ट-पार्ट 2: https://metrocitysamachar.com/vvcmc-is-playing-khela-with-mrtp-notice/

हाल ही में हमारी (मेट्रो सिटी समाचार)  टीम ने 09th मार्च -2024 को “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण/Encroachment” से सम्बंधित नायगांव थाना क्षेत्र का एक बेहद चौंकाने वाला मामला उज़ागर किया था जिसमे सिटीजन कॉपरेटिव सोसाइटी,परेरा नगर, नायगांव का 68 गुंठा भूखंड चार लोगो के एक गिरोह ने फ़र्ज़ी दस्तावेज के आधार पर ज़मीन हड़प “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” कर रहा था.नायगांव थाना के पुलिस निरीक्षक एवं उनकी टीम की सराहनीय पहल एवं गहन जाँच पड़ताल के बाद “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण (Encroachment) को लेकर चार लोगों पर गुनाह दर्ज़ किया।

नायगांव के पुलिस निरीक्षक ने नागरिकों से अपील भी की लोग अपने ज़मीन,मकान या फ्लैट को लेकर सचेत रहें। लेकिन क्या ये काफी है? नगर रचना एवं उससे जुड़े कानूनों के पालन की मुख्य जिम्मेदारी वसई विरार मनपा की है लेकिन वसई विरार मनपा के “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” एवं “नगर रचना विभाग” के अधिकारी एवं अभियंता सियासी चासनी में इस कदर डूब चुके हैं कि इन्हे क़ानून महज मज़ाक जैसा प्रतीत होता है और इनकी ज़िम्मेदारी सिर्फ प्रभावशाली सख्शियतों तक ही सीमित रह गयी है. भ्रष्ट मानसिकता के आगे आम आदमी तो बस बेचारा रह जाने को मज़बूर है.

पिछली कड़ी में हमने महानगरपालिका के अधिकारों और कर्तव्यों को समझने का प्रयास किया था. आइए अब अनधिकृत निर्माण/ अनधिकृत बांधकाम को रोकने में सरकारी तंत्र से संबंधित कुछ और शासकीय तत्वों के अधिकारों और कर्तव्यों को समझें:

महसूल/राजस्व विभाग

किसी भी गाँव की सीमा के भीतर कोई भी निर्माण तब तक शुरू नहीं किया जा सकता जब तक कि भवन योजना जिला अधिकारी, नगर पालिका या नगर निगम द्वारा अनुमोदित न हो। यदि कोई इस तरह का निर्माण शुरू करता है, क्योंकि ऐसा अपराध गैर-जमानती है, तो गांव के तलाथी, ग्रामसेवक के लिए आपराधिक संहिता की धारा 40 (1) (सी) के अनुसार तुरंत पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट करना अनिवार्य है। हर गांव में तलाथी और ग्राम सेवक होते हैं। इन सभी को आदेश देकर कलेक्टर उपरोक्त धारा 40 को सख्ती से लागू कर सकता है तथा अनाधिकृत निर्माणों के विरूद्ध आपराधिक अभियोग दर्ज किया जा सकता है तथा निर्माण को रोका जा सकता है।

पुलिस विभाग

महाराष्ट्र स्वामित्व फ्लैट अधिनियम की धारा 13, एम.आर.टी.पी. एक्ट एक्ट धारा 52/53/54, बी.पी.एम.सी.अधिनियम,1949 की धारा 397(1)(सी) के तहत अपराध 3 साल की सजा के साथ संज्ञेय हैं। पुलिस के पास अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर होने वाले संज्ञेय अपराधों को रोकने, बॉम्बे पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 64 और आपराधिक संहिता की धारा 149,151 के तहत अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने की शक्तियां हैं। अनुच्छेद 156 के अनुसार, पुलिस के पास संज्ञेय अपराधों की जाँच करने की शक्तियाँ हैं। पुलिस को भारतीय दंड संहिता के अलावा अन्य कानूनों के तहत संज्ञेय अपराधों की जांच करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम की धारा 4(2) के तहत शक्तियां प्राप्त हैं। साल 1996 में महाराष्ट्र सरकार ने सभी पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया था कि अवैध निर्माण न होने दें वरना कार्रवाई की जाएगी.

संज्ञेय अपराध को रोकना प्रत्येक पुलिस का कर्तव्य है। मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 145 के अनुसार कर्तव्य में लापरवाही करने वाले पुलिस अधिकारी को 3 महीने की कैद की सजा हो सकती है। साथ ही,अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले लोक सेवक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 166 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। उक्त अधिनियम के तहत अपराध 1 वर्ष की सजा का प्रावधान है और खात्यामार्फत कार्रवाई की जा सकती है. इसलिए प्रत्येक पुलिस अधिकारी को अवैध निर्माण करने की योजना बनाने वाले व्यक्ति के खिलाफ तत्काल निरोधात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। अनाधिकृत निर्माण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ तुरंत संज्ञेय अपराध दर्ज किया जाना चाहिए और दोषी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। 1991 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि अनधिकृत निर्माण निवासियों के जीवन के लिए खतरनाक है। अत: समाज के लिए खतरनाक ऐसे कृत्य करने वाले अपराधी से अच्छे आचरण का बंधपत्र लेने की कार्रवाई भी दंड संहिता की धारा 110 के अनुसार की जा सकती है।

यदि प्रमोटर वादे के अनुसार सुविधाएं प्रदान नहीं करता है, धोखा देता है, नकली नक्शे तैयार करता है और उन्हें धोखा देने के लिए सही के रूप में उपयोग करता है,जाली अनुबंध में प्रवेश करता है,अग्रिम राशि में धोखाधड़ी करता है तो आई.पी.सी.की धारा 420,406,467,468,471 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. हालाँकि “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण/Encroachment” को लेकर पुलिस विभाग के पास सीमित अधिकार है लेकिन यदि हमारे पुलिस अधिकारी विशेष रुचि लेकर अनाधिकृत निर्माण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें तो ऐसे अनाधिकृत निर्माण बहुत हद तक नियंत्रित हो जायेंगे।

आश्चर्य की बात है कि वसई विरार महानगरपालिका ने अभी तक इन ख़बरों को संज्ञान में लेकर कोई ठोस कार्यवाई नहीं की है. टीम मेट्रो सिटी समाचार” की जिज्ञासा एवं नज़रे तब तक बनी रहेगी जब तक ईमानदारी पूर्वक वसई विरार महानगरपालिका “अनधिकृत बांधकाम/अवैध निर्माण” के प्रतिवेदित खबरों पर कार्रवाई ना कर ले।

शेष अगले अंक में…..

यह भी पढ़ेंCBSE: औचक निरीक्षण के बाद सीबीएसई ने कदाचार का हवाला देते हुए 20 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी

Show More

Related Articles

Back to top button