मुंबई: महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने शुक्रवार को मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) कार्यकर्ता मनोज जरांगे पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी मांगें बढ़ती जा रही हैं, पर महाराष्ट्र सरकार बेबस है.
भुजबल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में चुटकी लेते हुए कहा कि वह उन सभी बातों को वापस ले रहे हैं, जो उन्होंने पहले कहा था. भुजबल ने इसके पहले जरांगे की आलोचना की थी. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मैं भी जरांगे की सभी मांगों का समर्थन करता हूं. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोग कौन हैं…वे छोटे और गरीब लोग हैं. भगवान भी जरांगे से डर गये हैं. जरांगे के सामने कानून-व्यवस्था क्या है? एक मंत्री को उनके बगल में लगातार तैनात रखना चाहिए.’’
उन्होंने कहा कि सरकार बेबस है. वरिष्ठ ओबीसी नेता और ‘महात्मा फुले समता परिषद’ के संस्थापक भुजबल ने लाभार्थियों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ पाने में सक्षम बनाने के लिए ऐतिहासिक रिकॉर्ड के आधार पर मराठों को कुनबी (ओबीसी) प्रमाण पत्र जारी करने के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के फैसले के विपरीत रुख अपनाया है. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब एक दिन पहले ही राज्य के तीन मंत्रियों ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में जरांगे से मुलाकात की थी और उनसे उनकी मांगों पर सरकार की प्रतिक्रिया के लिए अधिक समय देने का आग्रह किया था. हालांकि, जरांगे अपनी 24 दिसंबर की समय सीमा पर अड़े रहे.
जरांगे ने कहा है कि यदि राज्य सरकार 24 दिसंबर तक कानून (आरक्षण के लिए) बनाने पर अपना रुख स्पष्ट करने में विफल रहती है और सभी मराठा लोगों को कुनबी (ओबीसी) प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिलाधिकारियों को आदेश जारी नहीं करती है, तो समुदाय के सदस्य विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे. इससे पहले, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा को बताया था कि पिछड़ा वर्ग आयोग की एक रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए यदि आवश्यक हुआ तो फरवरी 2024 में विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाएगा. भुजबल उन ओबीसी नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार के कदम से ओबीसी आरक्षण कम हो जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा है कि मौजूदा आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.